Sunday, June 24, 2012

कविता - " हे रसिका "

कविता - " हे रसिका "

by Arun V. Deshpande on Tuesday, May 8, 2012 at 9:23am ·
रसिकजन हो-  नमस्कार , " एक आठवण.....!
आज दि.८ मे , मागच्या वर्षी याच दिवशी
माझ्या "मन डोह" या कविता संग्रह्चे प्रकाशन ,
डा.विकास कशाळकर यांचे हस्ते संपन्न झाले.
त्या निमित्ताने संग्रहातील एक कविता सादर करीत आहे.
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कविता - हे रसिका ...!                                                      -अरुण वि . देशपांडे.-पुणे.
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जखमा उरीच्या साऱ्या
दाखवू कुणास कशा
घालील फुंकर कुणी
ठरली रे वेडीच आशा ....||
मनास जाणेल असा
जिवलग नाही कुणी
ऐकेल आतले असा
भेटलाच नाही कुणी ......||
कैफियत माझी कितीदा
कवितेत मी मांडली
कोरड्या ठप्प जगाने
पाठ की फिरवली .........||
तूच भेटला रसिका
रंगात माझ्या रंगला
घेतला जाउनी अर्थ
अनर्थ दूर ठेविला ........||
सांगितले तुज रसिका
किती हलके वाटले
मन होते भटकले
तेच तू सावरले ...........||
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कविता - " हे रसिका "                                          -अरुण वि.देशपांडे -पुणे
"मन डोह - या कविता संग्रह्तील कविता .
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कविता - " हे रसिका "

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