कविता - जगणे आपुले राजा …।
-अरुण वि . देशपांडे - पुणे
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ताण- तणाव भोवती
भाम्बावूनी जाते मन
थकून जाता शरीर
कोमेजून जाते मन …. ।
नाही चुकत रे कुणा
जगण्याची ही लढाई
सेनापती नसे यात
सारे लढणारे शिपाई …!
आले गेले ते दिवस
विसरे ती हौस मौज
निरास झाले जगणे
सूर नसलेले गाणे….
म्हणून का सोडायचे
जगणे आपले राजा
हिम्मत हरू नकोस
आयुष्य फुलव राजा …… ।
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कविता - जगणे आपुले राजा …।
-अरुण वि . देशपांडे - पुणे .
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-अरुण वि . देशपांडे - पुणे
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ताण- तणाव भोवती
भाम्बावूनी जाते मन
थकून जाता शरीर
कोमेजून जाते मन …. ।
नाही चुकत रे कुणा
जगण्याची ही लढाई
सेनापती नसे यात
सारे लढणारे शिपाई …!
आले गेले ते दिवस
विसरे ती हौस मौज
निरास झाले जगणे
सूर नसलेले गाणे….
म्हणून का सोडायचे
जगणे आपले राजा
हिम्मत हरू नकोस
आयुष्य फुलव राजा …… ।
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कविता - जगणे आपुले राजा …।
-अरुण वि . देशपांडे - पुणे .
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