Sunday, July 28, 2013

कविता -वाऱ्यावरती मन हे डोलते ...!

 कविता - वाऱ्या वरती मन हे डोलते ……।
 -अरुण वि .देशपांडे - पुणे .
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वाऱ्या वरती मन हे डोलते
आनंदाचे आले त्यात भरते
दोन मनांची  भेट आजला
आसमंती हे  गुज पसरते …
वाऱ्या वरती मन हे डोलते ……।

दोन ठिकाणी दोघे असता
भेटने  अवघे असे कठीण
रात्र सरते चांदण्या  संगती
उजाडे  दिवस तो कठीण ….
मनात तरी उमेद असते
वाऱ्या वरती मन हे डोलते ……।

समोर समोर येण्याची ती
आतुरता  मोठी असे किती
थरथरत्या स्पर्शांची जादू
वाटे प्रतीक्षा संपवावी ती …
मन हेच बोलत असते
प्रेमात हे असेच होत असते
वाऱ्या वरती मन हे डोलते ……।

नजरेस नजरे भिडता
ते सारेच क्षणात उमजे
या मनातले सारेच कसे
अलगद  त्या मनास समजे …
प्रेमात हे असेच होत असते
वाऱ्या वरती मन हे डोलते ……।

भावना प्रीतीची सुरेखशी
जीवनास सुंदरता देते
प्रेम करावे मनापासुनी
हे नक्की अनुभवता येते …….
प्रेमात हे असेच होत असते
वाऱ्या वरती मन हे डोलते ……।
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कविता - वाऱ्यावरती मन हे डोलते …!
-अरुण वि .देशपांडे - पुणे .
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