Saturday, July 27, 2013

कविता - मी परतुनी आलो नसतो …!
-अरुण वि. देशपांडे - पुणे .
-------------------------------------------------------------------
तू अन मी भेटलो नसतो
मी परतुनी आलो नसतो     ॥

आव्हरले होते दुनियेनॆ
लोकांनीही नाही उभे केले
मी माझा दूर निघालो होतो
तू अन मी भेटलो नसतो
मी परतुनी आलो नसतो     ॥

साथ -सोबती नव्हते कुणी
सवे आले ही नव्हते कुणी
एकटाच मी माझा निघालो होतो
तू अन मी भेटलो नसतो
मी परतुनी आलो नसतो     ॥

केलीस तू  माझी चवकशी
आस्थेने बोलले नव्हते कुणी
तू थांबवले अन मी थांबलो होतो
तू अन मी भेटलो नसतो
मी परतुनी आलो नसतो     ॥

प्रेमाच्या शब्दात असते
ताकद मोठी, हे ऐकून होतो
दिलास तू आवाज थांबलो होतो
तू अन मी भेटलो नसतो
मी परतुनी आलो नसतो     ॥

विश्वास हरवून बसलो होतो 
सापडून मला तो तूच दिला
नसता खूप दूर गेलो असतो
तू अन मी भेटलो नसतो
मी परतुनी आलो नसतो     ॥

नशिबी योग असतात  हे
लोकांचे बोलणे ऐकत होतो
घडेल चांगले वाट पाहत होतो
तू अन मी भेटलो नसतो
मी परतुनी आलो नसतो     ॥
--------------------------------------------------------------------------------------------
कविता - मी परतुनी आलो नसतो ।!
-अरुण वि. देशपांडे - पुणे .
----------------------------------------------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment