Sunday, July 28, 2013

कविता - रात्र पावसाळी ही ..!

कविता- रात्र पावसाळी ही …।
-अरुण वि.देशपांडे - पुणे
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लागली  धार आसवांची
कशी  ती थांबवू आता
श्रावणझड  बाहेर ती
सोबतीस माझ्या आता …।

रात्र पावसाळी काय करू
कोसळेल रातभर पाऊस
मनास आता कसे आवरू ?
सावरण्यास यावेस आता …।

विरहाची रागिणी ओठावरी
आठवण दाटते या अंतरी
दोन मनातले अंतर सारे
हे संपवण्या यावेस तू आता ….।
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कविता- रात्र पावसाळी ही …।
-अरुण वि.देशपांडे - पुणे
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