कविता - साई तुमच्या दरबारी ….!
-अरुण वि. देशपांडे - पुणे .
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मानाने जगणे कठीण
त्यात जीव झाला घाबरा
- तुम्हीच यालाहो सावरा
घेउनी गाऱ्हाणे भक्त आला
साई तुमच्या दरबारी ….॥
शब्दात फसवती नित्य
गोंधळून सदा टाकिती
व्यवहारी घालिती टोप्या
याला तुम्ही आवर घाला …॥
सद्गुरु आधार तुमचा
आमच्या मनास आहे
म्हणून मन निर्धास्त आहे
कृपा असावी इच्छा आहे …॥
साई सद्गुरु तुम्हीच
भक्तांचे कल्याण करिते
अंधार झाला भोवती हा
दूर करावा हा आजला
घेउनी गाऱ्हाणे भक्त आला
साई तुमच्या दरबारी ….॥
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- कविता - साई तुमच्या दरबारी ….!
-अरुण वि .देशपांडे - पुणे
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-अरुण वि. देशपांडे - पुणे .
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मानाने जगणे कठीण
त्यात जीव झाला घाबरा
- तुम्हीच यालाहो सावरा
घेउनी गाऱ्हाणे भक्त आला
साई तुमच्या दरबारी ….॥
शब्दात फसवती नित्य
गोंधळून सदा टाकिती
व्यवहारी घालिती टोप्या
याला तुम्ही आवर घाला …॥
सद्गुरु आधार तुमचा
आमच्या मनास आहे
म्हणून मन निर्धास्त आहे
कृपा असावी इच्छा आहे …॥
साई सद्गुरु तुम्हीच
भक्तांचे कल्याण करिते
अंधार झाला भोवती हा
दूर करावा हा आजला
घेउनी गाऱ्हाणे भक्त आला
साई तुमच्या दरबारी ….॥
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- कविता - साई तुमच्या दरबारी ….!
-अरुण वि .देशपांडे - पुणे
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