Sunday, July 28, 2013

कविता- खूप वाईट वाटते तेंव्हा ...!

कविता -    खूप वाईट वाटते तेंव्हा ...!.!

-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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आपले  म्हणवणारे  जेंव्हा
वाऱ्याप्रमाणे बदलून दिशा
समोरून जातात हे जेंव्हा
खूप वाईट वाटते  तेंव्हा ...!

काय गृहिते असतील ? या
स्व-केंद्रित  माणसांची ,ज्यांना
कधी  पर्वा नसते  कुणाची ..

भावना तुडवुनी जाती
खूप वाईट वाटते  तेंव्हा ...!

हळुवार ,प्रेम भावना यांना

किंमत नसते यांच्या लेखी

पैसा असतो  यांचा  सोबती

नसतो दुसरा कुणी सोबती
खूप वाईट वाटते तेंव्हा.......।।

माणसे कामा येती शेवटी

माहित नसेल का हे यांना

तरी लोटुनी देती माणसाना
खूप वाईट वाटते तेंव्हा ....।।
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कविता - खूप वाईट वाटते तेंव्हा ....!
-अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
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